कोल समाज के पुरूष का पोषाक
परदनी बारह हंथी,गंजी (बनियान), अधबंडी,कमीज कलगी(पगड़ी),अंगौछी|
आभूषण:- कठुला,ताबीज,मोहर,चूड़ा,चिड़ी पान फुलिया|
नृत्य :- दादर में करतार द्वारा,शैला नृत्य,राई नृत्य|
वाद्य यंत्र:-ढ़ोलकी,नगरिया(डुग्गी) ,झेला,झांझ,करतार|
अभिवादन :- रामजोहार,पलागो |
गोदना:- मचिया का चित्र,पत्नि का नाम इत्यादि|
कोल महिला का पोषाक :- धोती बारह हंथी,झुलबा,बंडी,लहंगा,लुगरा|
आभूषण :-कंठी,मोहर,सिक्का,सुतिया,छन्नी,नौगिरही,दोहरी,बहुंटा,बुलाक,नथुनी,ढ़ार-खोंसबा,बाली,झुमका,आयरन,तोड़ा,छड़ा,गोड़हरा,दुलरी,घूंघर,शंकरी,करधनी|
नृत्य-संगीत:- दादर,कोलदंहका,राई,फगुआ,टिप्पा, लंहलेदबा,केहरा,हेंदुली,सोहर,बिआह,गारी,सजनहाई|
गोंदना:-तीन फूल नांक में गोदना,
तीन फूल सीने में गोदना,
तीन फूल ढो़ड़ी में गोंदना,
एक फूल दाये गाल में गोदना,
दाये गाल में चंद्राकार गोदना,
दाये हांथ में मचिया का चित्र,
पति का नाम दाये हांथ में,
भाई का नाम बांये हांथ में|
अभिवादन:-राम जोहार,भेंट-
अंकबार|
भाषा:-कोल(मुंडा)
बोली:-मुंडारी,हो
लिपि:-वारंग चिति
आखेट:-तीर-बांण,भाला,टांगी,
बरछी,फरसा,गड़ासा|
साशन व्यवस्था-गौंटिया-देमान,दहाइत-देमान
भोज्य पदार्थ:-कोदो,कुटकी,
सेतुआ,लाटा,डोभरी,
भुरकुंदा,जोन्हरी,भुट्टा,
बहुरी|
बिवाह संस्कार-मानदान-मानदानिन,सुआसा-सुआसी
(फुफा-फुफू)करवाते हैं|
जन्म संस्कार,बिवाह संस्कार ,मृत्यु संस्कार में पण्डित का कोई कार्य नहीं होता|